Department Details
Department of Hindi
1) | दवंगे, महेश (2023). गुनगुनाने लगी भोर' का काव्य सौंदर्य. In पी. बिष्ट(संपा.), अरुणा दुबालिश का कविता संसार (pp.१२०-१३०). नई दिल्ली, भारत: अयन प्रकाशन. ISBN: ९७८८११९२९९२४९. | ||
2) | राय, शशिकला (2021). इब्तिदा फिर वही कहानी. In के. सिंह(संपा.), कथा शिखर काशिनाथ सिंह. नई दिल्ली, भारत: कौटिल्य बुक्स. ISBN: ९७८९३९०८८५०६०. | ||
3) | राय, शशिकला (2021). नवा-ए राज है, ऐ दोस्त तेरी आवाज. कृष्णा सोबती से कृष्णा सोबती तक. कलकत्ता, भारत: प्रतिश्रुति प्रकाशन. | ||
4) | राय, शशिकला (2019). एक लंबी कविता का अंत. In ए. अरविंदक्षण(संपा.), हमारे समय में मुक्तिबोध (pp.२३७-२४३). नई दिल्ली, भारत: वाणी प्रकाशन. ISBN: ९७८९३८८६८४१९४. | ||
5) | राय, शशिकला (2019). मातृभाषा का महत्व. ज्ञानकोश. भारत: Rise Foundation. | ||
6) | भोसले, सदानंद (2019). मानवतावादी आलोचक आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी. In ज. त्रिपाठी(संपा.), क्रिटिक्स अँड क्रिटिसिसम (pp.३७६-३८०). पुणे, भारत: Centre of Advanced Study in Sanskrit, SPPU. ISBN: ९७८९३८५७८८०१७. | ||
7) | भोसले, सदानंद (2019). जिस लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नइ' नाटक का प्रतिपाद्य. In ज. त्रिपाठी(संपा.), Influence of Sanskrit on Indian Language and Literature (pp.१२८-१३८). पुणे, भारत: Centre of Advanced Study in Sanskrit, SPPU. ISBN: 9789385788048. | ||
8) | घोडे, राजेंद्र (2018). इक्कीसवीं सदी की कविताओं में स्री-विमर्श . In वि. रोडे(संपा.), प्रतिरोध की संस्कृति और स्री - विमर्श (pp.२००-२०४). भारत: ए. बी. एस. पब्लिकेशन . ISBN: ९७८९३८६०७७६१५. | ||
9) | घोडे, राजेंद्र (2017). समकालीन हिंदी कहानियों में नारी विमर्श. In व्ही. रोडे(संपा.), हिंदी साहित्य स्त्रीवादी लेखन (pp.१८१-१८४). वाराणसी, भारत: ए. बी. एस. पब्लिकेशन. ISBN: ९७८९३८६०७७६२२. | ||
10) | घोडे, राजेंद्र (2016). हिंदी उपन्यासों में आदिवासी विमर्श. In आर. बेद्रे(संपा.), हिन्दी साहित्य:वर्तमान विमर्श भाग-२ (pp.३३-३६). परभणी, भारत: न्यू मॅन पब्लिकेशन. ISBN: ९७८९३८३८७१९८८. | ||
11) | घोडे, राजेंद्र (2015). हिंदी सिनेमा में नारी संवेदना. In पी. कुंदे(संपा.), सिनेमा का सौंदर्यशास्त्र (pp.३७३-३७५). मथुरा, भारत: गोविंद पचौरी. ISBN: ९७८८१८१११२९७२. | ||
12) | दवंगे, महेश (2015). नासिर शर्मा की कहानियों में स्त्री विमर्श. In वि. भालेराव(संपा.), इक्कीसवी शताब्दी के प्रथम दशक का हिंदी साहित्य. पुणे: अक्षर प्रकाशन. ISBN: ९७८९३८४४७००५०. | ||
13) | दवंगे, महेश (2015). भारतीय सिनेमा और समाज. In पी. कुंद्रे(संपा.), सिनेमा के सौंदर्यशास्त्र. मथुरा: जवाहर पुस्तकालय. ISBN: ९७८८१८१११२९७२. | ||
14) | घोडे, राजेंद्र (2015). 'मुन्नी मोबाइल' उपन्यास में समसामयिक, विसंगतियाँ . In एस. भोसले(संपा.), इक्कीसवीं सदी के शिखर उपन्यासों में संवेदना (pp.६०-६७). कानपुर, भारत: विकास प्रकाशन. ISBN: ९७८९३८१२७९३२८. | ||
15) | राय, शशिकला (2015). जिजीविषा है तो जीवन रहेगा. अथ से अनन्त -२ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और उनका साहित्य. दिल्ली, भारत: यश पब्लिकेशन्स. ISBN: ९७८९३८४६३३१०३. | ||
16) | दवंगे, महेश (2014). 'अक्षयवट' उपन्यास में बदलते जीवन मूल्य. In स. भोसले(संपा.), इक्कीसवी सदी के शिखर उपन्यासों में संवेदना. कानपुर: विकास प्रकाशन. ISBN: ९७८९३८१२७९३२८. | ||
17) | घोडे, राजेंद्र (2014). वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुवाद का महत्व. In एस. अली(संपा.), पारिभाषिक शब्दावली और अनुवाद : अन्तः सम्बन्ध (pp.२५७-२६१). बीड, भारत: हमदर्द पब्लिक लायब्ररी, बीड. ISBN: ९७८८१९२८५१५०१. | ||
18) | घोडे, राजेंद्र (2013). इतिहास की यथार्थ दृष्टी : कोणार्क. In एस. भोसले(संपा.), हिंदी नाट्य विमर्श (pp.१५८-१६२). कानपुर, भारत: विकास प्रकाशन. ISBN: ९७८९३८१३१७६३१. | ||
19) | दवंगे, महेश (2013). स्त्री संघर्ष की गाथा: दोहरा अभिशाप. In बी. के. कराळे(संपा.), २१ वी सदी का दलित साहित्य: संवेदना और स्वरुप. बीड: हर्षवर्धन पब्लिकेशन. ISBN: ९७८८१९२६८५१९९. | ||
20) | दवंगे, महेश (2013). 'बुतखाना' कहानी संग्रह में नैतिक मूल्य. In जी. एम्. नाज़िरुद्दीन(संपा.), हिंदी साहित्य में नैतिक मूल्य. अमरावती: आधार प्रकाशन. ISBN: ९७८९३८२५८८०२३. | ||
21) | दवंगे, महेश (2012). आधुनिक परिवार की त्रासदी : द्रौपदी. In स. भोसले(संपा.), हिंदी नाट्य विमर्श. कानपुर: विकास प्रकाशन. ISBN: ९७८९३८१३१७६३१. | ||
22) | दवंगे, महेश (2012). स्त्री विमर्श: पश्च्यात परिप्रेक्ष्य. In श. शेख(संपा.), अल्पसंख्यकों का विचार विश्व. औरंगाबाद: न्यू वाईस पब्लिकेशन. ISBN: ९७८९३८२५०४११५. | ||
Publications Before 2011 |
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23) | राय, शशिकला (2009). नारी रचना संस्कार के पुरुष पात्र. स्त्री मुक्ति का सपना. नई दिल्ली, भारत: वाणी प्रकाशन. ISBN: ९७८९३५०७२३६८५. | ||
24) | राय, शशिकला (2007). तंत्र के माया जाल में आदमी बने रहने का संघर्ष. In सी. बांदिवडेकर(संपा.), गोविंद मिश्र सृजन के आयाम (pp.२३६-२४१). नई दिल्ली, भारत: वाणी प्रकाशन. ISBN: ८१७०५५२१६८. | ||