Department Details
Department of Hindi
1) | दवंगे, महेश (2022). समीक्षा : ‘ओह रे! किसान’ की यात्रा से गुजरते हुए. अपनी माटी,
41,
ISSN(print/online): 2322-0724,
URL/DOI: https://www.apnimaati.com/2022/06/blog-post_60.html
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2) | घोडे, राजेंद्र (2022). हिंदी उपन्यासों में चित्रित आदिवासी जीवन प्रथाएं. नागफनी ,
12 (40), 114-115.
ISSN(print/online): 2321-1504.
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3) | घोडे, राजेंद्र (2022). हिंदी दलित कहानियों में आम आदमी. शोध मंथन ,
13 (1), 23-25.
ISSN(print/online): 0976-5255/2454-339X .
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4) | राय, श. (2021). जो कहि होती गीता किसी स्री ने. समयांतर,
52,
ISSN(print/online): 2249-0469.
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5) | राय, श. (2021). साधो देखो जग बौराना. अक्षरा,
192, 18-22.
ISSN(print/online): 2456-7167.
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6) | राय, श. (2021). हारा वही जो लढा नहीं. कथा क्रम,
23 (87-88), 121-123.
ISSN(print/online): 2231-2161,
URL/DOI: https://docs.google.com/viewerng/viewer?url=https://notnul.com/Images/preview/5276_preview.pdf
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7) | घोडे, राजेंद्र (2021). हिंदी उपन्यासों में किन्नर समाज. दृष्टिकोण ,
12 (3), 338-341.
ISSN(print/online): 0975-119X.
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8) | राय, श. (2020). दिल के दरीचे में कोई मुस्कराता है. कथा क्रम,
22 (83), 90.
ISSN(print/online): 2231-2161,
URL/DOI: https://docs.google.com/viewerng/viewer?url=https://notnul.com/Images/preview/4878_preview.pdf
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9) | दवंगे, म. (2020). समीक्षा : तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी..... अपनी माटी,
33,
ISSN(print/online): 2322-0724,
URL/DOI: http://www.apnimaati.com/2020/10/blog-post_22.html
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10) | दवंगे, एम (2020). माना कि अँधेरा घना है, पर दिया जलाना कहां माना है . जागल्या,
3 .
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11) | घोडे, राजेंद्र (2020). बहुजन उपन्यास में बदलता परिवेश. दृष्टिकोण ,
12 (6), 554-555.
ISSN(print/online): 0975-119X.
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12) | दवंगे, एम. (2019). सोशल मीडिया और राजनीति . शब्दसृष्टी,
07 (07), 31 -33 .
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13) | दवंगे, एम. (2019). हमारी भी सुनो . शोध संदर्श,
23 (07), 333-338 .
ISSN(print/online): 2319-5908.
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14) | दवंगे, एम (2019). 'धीमी धीमी आंच' की अनूठी दुनिया . शोध श्री,
33 (4 ), 50-56. Google Scholar Citations: ,
ISSN(print/online): 2277-5587.
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15) | दवंगे, एम. (2019). फ़ांस की ओर बढ़ते कदम . शोध धारा,
4 (55), 53-59 .
ISSN(print/online): 0975-3664.
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16) | दवंगे, एम. (2019). क्या आपके भीतर भी छिपा है कोई 'आदमखोर'. समीचीन पत्रिका,
12 (22), 100-107.
ISSN(print/online): 2250-2335.
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17) | घोडे, राजेंद्र (2019). 'बाबूजी' कहानी संग्रह मे चित्रित सामाजिक समस्या. शोध मंथन ,
10 (1), 14.
ISSN(print/online): 0976-5255/2454-339X ,
URL/DOI: https://anubooks.com/wp-content/uploads/2019/03/SM-Vol.-X-No.-1-Part-1-2.pdf
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18) | घोडे, राजेंद्र (2019). मेरा घर कहा है? कहाणी संग्रह मे चित्रित सामाजिक समस्या. शोध धारा,
1, 84-86.
ISSN(print/online): 0975-3664.
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19) | घोडे, राजेंद्र (2019). आदिवासी लोक संस्कृति. शोध संदर्श,
22 (7), 179-180.
ISSN(print/online): 2319-5908.
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20) | घोडे, राजेंद्र (2019). आदिवासी लोकगीतो की परंपरा. शोध दिशा,
44, 158-165.
ISSN(print/online): 0975-735X,
URL/DOI: http://kavitakosh.org/kk/otherapps/sajha-manch/?m=0B4Y8h_F9o-nVZF96WndyMVEyWllVaDFZSWZUMm5MN212Rk53&patrika=shodhank
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21) | दवंगे, एम. (2018). तीसरी दुनिया का यथार्थ . शोध दिशा,
43 (43), 244-248 .
ISSN(print/online): 0975-735X,
URL/DOI: http://kavitakosh.org/kk/otherapps/sajha-manch/?m=0B4Y8h_F9o-nVRXhLa1IwVWVVQnFOcUg0MGowVGYzZDhCbzdV&patrika=shodhank
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22) | दवंगे, एम. (2018). अपनी हरियाली की स्मृति में दम तोड़ते किसान . धारा और धारणा,
(03 ), 76 -83 .
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23) | दवंगे, एम. (2018). स्त्री विमर्श की दहलीज को लाँघता हिंदी महिला लेखन . युध्यरत आम आदमी,
ISSN(print/online): 2320-0359.
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24) | घोडे, राजेंद्र (2018). आदिवासी जीवन और प्रवृति. शोध दिशा,
43, 282-286.
ISSN(print/online): 0975-735X,
URL/DOI: http://kavitakosh.org/kk/otherapps/sajha-manch/?m=0B4Y8h_F9o-nVRXhLa1IwVWVVQnFOcUg0MGowVGYzZDhCbzdV&patrika=shodhank
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25) | घोडे, राजेंद्र (2018). आदिवासी लोक गीतो में लोक संस्कृती. शोध श्री,
29 (4), 1-5.
ISSN(print/online): 2277-5587.
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26) | दवंगे, एम (2017). क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले. दलित अस्मिता,
ISSN(print/online): 2278-8077.
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27) | दवंगे, एम (2017). बेगुनाही की सजा कब तक . युध्यरत आम आदमी,
ISSN(print/online): 2320-0359.
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28) | दवंगे, एम (2017). नहीं हूँ किसी का भी प्रिय कवि मै . युगांतर,
ISSN(print/online): 2320-2467.
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29) | दवंगे, एम. (2016). वॉरेन हेस्टिंग्स का साँड: एक मूल्यांकन. अनुराग सरिता,
ISSN(print/online): 2229-3000.
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30) | दवंगे, एम. (2014). स्वतंत्र अस्तित्व की पहचान: शाल्मली. संकल्य,
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31) | दवंगे, एम.आर. (2012). 'बुतखाना' कहानी संग्रह में सामाजिक संवेदना. संकल्य,
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32) | भालेराव, व्ही.एन. (2012). रेहन पर पत्नी. बयान,
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33) | दवंगे, एम.आर. (2011). नागार्जुन के साहित्य में जनवादी चेतना. राष्ट्रवाणी,
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34) | भालेराव, वि. न. (2011). उत्तरशती की प्रगतिशील दलित कहानी. संचारिका,
९.
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35) | भालेराव, वि. न. (2011). घनचक्कर में (कविता में). राष्ट्रवाणी,
40.
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